Skip to main content

what are you doing..yaar

There are some pains which defines us the gravity of our tolerance. and also it actually defines us. day by day human beings are becoming less tolerant whether towards nature or towards human.we tolerate a very few. we get angry very soon, we react instantly, we got happy very soon.
                                                                                No one in this world who don't uses social sites viz Facebook, WhatsApp, Instagram.it become an established part of daily life. it has become another oxygen to the people in the sense if mobile and internet people feel alive dead. even though it keeps people connected and have many great uses. there are some disadvantages. these are becoming more vulnerable. the content are not authorised and we cant rely. people who feed content, feed by keeping in mind which can be spread fast. they don't think it can lead to death, mob lynching, violates, communal riots and unrest in society. people never think about credential and origin of post. they keep spreading more and more. we should think twice before sending.
we think what we are going to do.

Comments

Popular posts from this blog

Peace of mind

                                                 "Peace of mind" आज फिर हम शांति की खोज में निकले, चूँकि कई दिनों से थक गया था रूम पर पड़े पड़े। सो सोचा "क्यों न आज कहीं चलें"। तो निकल पड़ा।                         आपको यह हैरानी होगी यह बात जानकर कि आखिर किस "शांति" की खोज में हम निकले थे। आपको बता दूँ की शांति भी दो तरीके की होती है या यूँ कहें की तीन। एक तो मन की शांति, जो हम कभी खोजने नही निकलते,लुप्त सा हो गया है आज के आधुनिक जीवन में। हम तो भैया दूसरी शांति में खोज में निकलते हैं,जो की आँख की शांति होती है,जो की internet के कुछ चुनिंदे website पर मिल जाते हैं(अक्सर जिसकी हम किसी से चर्चा नही करते),हालाँकि इसे तन की शांति भी कह सकते हैं,अर्थात् तीसरी।                         यह शांति किसी जंगल,शहर से कहीं दूर एकांत में नही मिलती,ये तो कहीं और मिलती है।इसके लिए तो हम लोगों को तो पहले काफी तैयारी करनी पड़ती है, गमकाऊआ साबुन से नहाना होता है,अच्छे facewash से रगड़ रगड़ के मुंह धुलना होता है, भड़कीले कपडे पहनने होते हैं, इत्र( फॉग) छिड़कना होता है,और भी कई ची

पसंद

कुछ चीज ऐसे होते हैं जिसे हम पसंद नही करते।कुछ तो लोग भी ऐसे होते हैं जिन्हे देख आप भौहें सिकोड़ लेते हो। हरेक की पसंद और नापसंद अलग अलग होती है।किसी को खेलना पसंद है,किसी को घर में भर दिन टीवी देखना, तो किसी को बस काफी के साथ किताब पढ़ना,किसी को घूमना...तो किसी को सिर्फ और सिर्फ सोना। सोना से याद आया मेरे दोस्त सन्नी को भी सोना बहुत पसंद है।नाम भले ही सन्नी हो पर सन्नी देओल के विपरीत ये शरीर से काफी पतला है।इसके जिंदगी में बस तीन ही चीज है खाना खाना और खाना।एक ही लक्ष्य है मोटा होना।खेर कई लोगों ने इसे कई शार्ट कट उपाय बताये जैसे बियर पियो मोटे हो जाओगे।पर मदिरापान को ये अपने सिद्धान्त के विपरीत मानता है।कई डॉक्टर को दिखाया पर कोई फायदा न मिलने पर अब इसे केवल दूध और केला पर ही वैश्वास रह गया है।दिन और रात मिला कमसे कम चार बार दवाई के खुराक के भांति इसका सेवन करता है।कई वर्ष हो गए पर कोई फायडा न हुआ। अब किसी ने इन्हें बताया है कि खूब सोया करो।तो सोने को इसने जिंदगी बना लिया है रात में तो सोता ही हैं,दिन में भी 5 से 6 घण्टे की नींद लेना,खाते खाते सो जाना,पढ़ते पढ़ते सो जाना,चाहे बिस्तर मि

एक पड़ाव जिंदगी के

जिंदगी के राह में चलते चलते एक ऐसा मोड़ आता है या यूं  कहें कि ऐसा दौर आता है कि आप किसी से बात नही करना चाहते हैं, न कोई आपसे लोग आपको इग्नोर करने लगते हैं आप खुद से नफरत करने लगते हैं खुद को हेय दृष्टि से देखते हैं खुद को कमजोर समझते हैं खुद को अलग थलग महसूस करते हैं आप हिम्मत हार जाते हैं कोई भी काम हो आपको लगता है आपसे न हो पायेगा चाहे कितनी भी आसान हो या कठिन ।                                  आपने , अब तक चाहे कितने भी मुकाम हासिल कर लिए हो( दूसरों को जैसा लगता है) आप खुश नही होते। हाँ, हमें एक जगह नही रुकना चाहिए, हमेशा आगे बढ़ने की सोचनी चाहिए। पर ,आखिर किस कीमत पर खुद को दुखी रख कर, खुद को सबसे पीछे देख कर। आप लोगों की उचाईं देख, खुद को दुखी कर आगे नही बढ़ सकते । आप को हर परिस्थिति में खुश रहना चाहिए जिंदगी के हर मोड़ पर।